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क्या कोई अधिकारी आपको थप्पड़ मार सकता है?

#क्या कोई अधिकारी आपको थप्पड़ मार सकता है?#क्या है आपके अधिकार?

आज हम आपको एक जानकारी देने जा रहे है की क्या कोई सरकारी अधिकारी जैसे कलेक्टर,पुलिस अधिकारी, या प्रशासनिक सेवा के पद पर कार्यरत कोई भी कर्मचारी आपको सार्वजनिक रूप से थप्पड़ मार सकता है?

इस पोस्ट की आज जरुरत इसलिए लगी क्योंकि हाल ही मै लॉक डाउन के दौरान कुछ ऐसी घटनाये हुई जिसमे आम इन्सान को अधिकारीयों के गुस्से का शिकार होना पड़ा है. अधिकारियो का गुस्सा भी इस प्रकार का की किसी भी सूरत में उसको सही नहीं ठहराया जा सकता है .

पहली घटना कुछ समय पूर्व की है जिसमे त्रिपुरा के डीएम द्वारा सार्वजनिक रूप से एक शादी में दुर्वव्यवहार करने का वीडियो वायरल हुवा था. उस पुरे घटनाक्रम में दुल्हे और शादी करवाने वाले पंडित जी के साथ अभद्रता के कारण पुरे देश में उनके इस कृत्य की निंदा हुई थी और वहां के मुख्यमंत्री के द्वारा उनको सस्पेंड कर दिया गया था.

दूसरी घटना #छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के #सूरजपुर की हैं, जिनमें आप जिले के उस समय के #कलेक्टर रणवीर शर्मा को एक व्यक्ति के साथ मारपीट करते हुए वीडियो वायरल हुवा है. घटना अभी 22 मई 2021 की ही है, घटना के दौरान कलेक्टर महोदय द्वारा एक व्यक्ति का मोबाइल फोन छिनकर न सिर्फ फोड़ दिया बल्कि उस व्यक्ति को थप्पड़ भी मारा.इसके बाद वहां तैनात सुरक्षाकर्मियों ने भी इस व्यक्ति के साथ मारपीट की. जिस व्यक्ति के साथ ये सब घटना हुई, वो असल में लोक डाउन के दौरान दवाई लेने अपने घर से बाहर निकला था.दवाई का पर्चा भी डीएम को दिखाया, लेकिन वो कुछ सुनने को तैयार ही नहीं हुए. इस घटना का वीडियो जब सोश्यल मिडिया के द्वारा वायरल हुवा तो राज्य सरकार ने डी एम को तुरंत पद से हटा दिया.

#त्रिपुरा की घटना हो या छतीसगढ़ की, दोनों घटनाओ में बल प्रयोग की आवश्यकता नहीं थी. पुलिस और प्रशासन आम आदमी की सहायता के लिए होते है. आम आदमी के मन में डर होने के कारण ही इस प्रकार की घटनाये होती है . हमारे देश में तो किसी बढे अधिकारी या पुलिस अफसर से किसी की जान पहचान या रिश्तेदारी होने पर भी धौंस दिखाई जाती है और आम आदमी डर भी जाता है क्योंकि आम आदमी को ये जानकारी नहीं पता है की कानून सबके लिए समान है.

इन दोनों घटनाओ ने सोचने पर मजबूर कर दिया की आखिर आम आदमी को इस प्रकार सरेआम पीटना सही है? इस तरह की घटनाएं हमारे देश में नई नहीं है, लेकिन जो बड़ा सवाल है वो ये कि क्या जिले का कलेक्टर या कोई बड़ा सरकारी अधिकारी और पुलिसवाला आपको राह चलते थप्पड़ मार सकता है? क्या उसे ये अधिकार है की वो इस प्रकार का दुर्व्यवहार कर सके?

आइये जानते है

कोई भी सरकारी अधिकारी चाहे वो #जिले का कलेक्टर ही क्यों ना हो, किसी भी आम आदमी पर जबरन बल प्रयोग नहीं कर सकता. यदि नियमों का उल्लंघन भी किसी के द्वारा किया गया है तो पुलिस या सरकारी अफसर भारतीय कानून के तहत कार्रवाई कर सकते हैं, लेकिन मारपीट की इजाजत कानून नहीं देता.

मौजूदा समय में अगर आपके शहर में लॉकडाउन लगा हुआ है और आपके घर में कोई व्यक्ति बीमार है और उसे अस्पताल ले जाना है या उसके लिए बाहर से दवाई लानी है तो ऐसी स्थिति में आप बाहर जा सकते हैं. सभी राज्य सरकारों एवं केंद्र सरकार द्वारा इसकी छुट दी गयी है, लेकिन अगर जांच करने पर ये पता चलता है कि आपके द्वारा बताई गई जानकारी गलत है और आपने झूठ बोला है तो आपके खिलाफ नियमों के अनुसार कार्रवाई हो सकती है. हालांकि इस स्थिति में भी कोई भी सरकारी अधिकारी आपके साथ मारपीट नहीं कर सकता.

बल प्रयोग की अनुमति कब है?

यदि पुलिस अधिकारी के पास किसी को गिरफ्तार करने का वॉरेंट (Warrant) है, या संबंधित व्यक्ति किसी शासकीय कार्य में बाधा डाल रहा है तो ऐसी स्थिति में वह अधिकारी कानून के दायरे में रहकर बल प्रयोग कर सकता है. इसके अलावा अगर व्यक्ति कानून व्यवस्था के लिए खतरा बन जाए या उसे नुकसान पहुंचाने की कोशिश करे तो भी बल प्रयोग किया जा सकता है.

क्या मारपीट करने पर संबंधित अफसर के खिलाफ कर सकते है कार्यवाही?

यदि आपके साथ या किसी भी आम जनता के साथ कोई पुलिसकर्मी या सरकारी अधिकारी दुर्व्यवहार करता है, तो #भारतीय कानून आपको यह अधिकार देता है की आप अपने नजदीकी थाने में उस पुलिसकर्मी या अधिकारी के खिलाफ IPC(भारतीय दंड सहिंता) की धारा 323, 504, 506 और 330 के तहत FIR (प्राथमिक रिपोर्ट) दर्ज करा सकते हैं. और यदि थाने में भी आपकी FIR को दर्ज करने से मना किया जाता है तो आप उस जिले के डीएम को CRPC के सेक्शन 200 के तहत एक शिकायत भी भेज सकते हैं. इस शिकायत पर डीएम आरोपी पुलिसकर्मी या अधिकारी के खिलाफ जांच शुरू कर सकता है. लेकिन अगर शिकायत डीएम यानी जिले के कलेक्टर के खिलाफ करनी है तो भी आप पुलिस थाने में जा सकते हैं. इसके अलावा जिस कलेक्टर के खिलाफ शिकायत है, वो कभी खुद अपने खिलाफ जांच नहीं कर सकता. ऐसी स्थिति में जांच दूसरे जिले के कलेक्टर या उसी रैंक के अधिकारी को सौंपी जाती है.

इसके आलावा आप यदि ज्यादा ही परेशान हो चुके है या आपकी शिकायत पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है तो आप #मानवाधिकार आयोग को भी शिकायत कर सकते है. साथ ही आप #राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण में भी ये मामला ले जा सकते है जिसका गठन #सुप्रीम कौर्ट के निर्देशों पर आम आदमी के ऊपर प्रशासनिक अधिकारियो की शक्तियों के दुरूपयोग को रोकने के लिए किया गया है.

कोई भी प्रशासनिक अधिकारी हालाँकि अपनी ट्रेनिंग के दौरान इन सब परिस्तिथियों में खुद को संयमित रखना सीखता है परन्तु कभी कभी जब वो इस प्रकार का व्यव्हार करते है तो आम आदमी के मन में उनकी नकारात्मक छवि तो बनती ही है साथ ही उनके इस व्यव्हार के कारण यह भी जाहिर होता है की केवल पढ़ लिख कर अधिकारी तो बना जा सकता है परन्तु एक अच्छा इन्सान अच्छे व्यवहार और संस्कार से ही बना जा सकता है.

#आम आदमी का अधिकार और उसकी शक्तियां याद दिलाने के लिए ही यह पोस्ट तैयार की गयी है आशा है आपको यह पसंद आई होगी .भविष्य में यदि आपके सामने इस प्रकार का कोई गलत व्यवहार होता है तो शालीनता से कानून के दायरे में रहकर उसका विरोध करे और उस अधिकारी को अपने अधिकारों के बारे में जानकारी देवे ताकि वो इस प्रकार की अभद्रता न करे.#

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