भारतीय किसान के लिए एक देसी गाय का खेती में महत्व

भारतीय किसान के लिए एक देसी गाय का खेती में महत्व

( Post By Ramchandra Ahir 8349873025) :भारतीय किसान के लिए एक देसी गाय का खेती में महत्व: भारतीय गाय गाँव-गरीब-किसान की पोषण सुरक्षा से लेकर ऊर्जा शक्ति का द्योतक रही हैं। देशी गाय के दूध, दही, छाछ, घी ने जहां हिंदुस्थानी थाली को पोषण सुरक्षा प्रदान की है वहीं भारतीय देशी गायों के बछड़ों द्वारा जवान होकर खेती में किसान के कमाऊ पूत बनकर उनकी सेवा की गई है। यदि किसान भाई एक देसी गाय का पालन करता है तो उसे पूरे साल बाजार से खाद खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

देसी गाय के एक ग्राम गोबर में 300-500 करोड़ सूक्ष्म जीवाणु पाए जाते हैं। जो खेत की मिट्टी के लिए बहुत जरूरी है। एक गाय के गोबर और गोमूत्र से खाद और कीटनाशक बनाकर 30 एकड़ खेती आसानी से की जा सकती है।
किसान भाई एक गाय से 30 एकड़ की खेती कर सकता है उसे 30 एकड़ की खेती करने के लिए किसी प्रकार के फर्टिलाइजर की आवश्यकता नहीं होती हैं क्योंकि एक गाय की 1 दिन के गोबर से 1 एकड़ खेती आसानी से की जा सकती है क्योंकि 1 गाय 1 दिन में औसतन 8 से 10 किलो गोबर देती है और 1 दिन के गोबर को व उसके 5 लीटर गोमूत्र को इकट्ठा करके आप बहुत अच्छा सा ghan jivamrit बना सकते हे यही जीवामृत आपकी खेती के लिए वरदान साबित होगा और आपकी फसल की लागत भी बहुत कम आएगी यदि फसल की लागत कम आती है तो आप की खेती लाभ का सौदा होगी क्योंकि आजकल फर्टिलाइजर के उपयोग के कारण ही जमीन बंजर होती जा रही है जिससे खर्चा तो अनेक हो रहा है लेकिन उत्पादन बहुत कम हो रहा है यही कारण है कि लोग जैविक खेती की ओर अग्रसर हो रहे हैं जीरो बजट खेती जिसे हम घन जीवामृत के माध्यम से कर सकते हैं.

घर पर ही कैसे बना सकते है जीवामृत

जीवामृत बनाने की विधि : 01 ग्राम जीवामृत में लगभग 700 करोड़ से अधिक सूक्ष्म जीवाणु होते हैं। ये पेड़-पौधों के लिए कच्चे पोषक तत्वों से भोजन तैयार करते हैं। इसे तैयार करने के लिए 10 किलो गोबर, 5-10 लीटर गोमूत्र, दो किलो गुड़ या फलों के गूदों की चटनी, एक से दो किलो किसी भी दाल का बेसन, बरगद या पीपल के पेड़ के नीचे की 100 ग्राम मिट्टी इस सभी चीजों को 200 लीटर पानी में एक ड्रम में भरकर जूट की बोरी से ढककर छाया में 48 घंटे के लिए रख देते हैं।

रोज सुबह-शाम डंडे से घड़ी की सुई की दिशा में मिश्रण को घोलें। इतना जीवामृत एक एकड़ भूमि के लिए पर्याप्त हैं। यह घोल सात दिन के लिए ही उपयोगी होता है। इसे सिंचाई के माध्यम से खेतों में पहुंचा सकते हैं। जीवामृत एक अत्यधिक प्रभावशाली जैविक खाद है जो पौधों की वृद्धि और विकास में उपयोगी है। इससे जमीन की उत्पादन क्षमता बढ़ती है, फसल में रोग नहीं लगते हैं।

कृषि विशेषज्ञों की माने तो जीवामृत को खेत में डालने के बाद इसका असर 30 माह तक अधिक रहता है। इसके बाद फिर से किसान जीवामृत बनाकर खेत में डाल सकते हैं। जैसे की ऊपर ही बताया गया था की किसान बंधू यह ध्यान रखें की गोबर व मूत्र गाय का ही हो और अगर देशी गाय हो तो या साहीवाल हो तो उनके ही गोबर व गोमूत्र का इस्तेमाल करें। देशी गाय व साहीवाल गाय का गोबर व गोमूत्र अधिक उपयुक्त होता है। भैंस आदि पशुओं के गोबर या मूत्र का प्रयोग न करें। किसान के लिए गाय बहुत ही कारगर सिद्ध होगी। जहां किसान व उसका परिवार गाय का दूध पीकर अपना स्वास्थ्य बेहतर करेंगे। वहीं गाय के गोबर व गोमूत्र से खेत का स्वास्थ्य भी बेहतर हो सकेगा

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