Hanuman Chalisa

हनुमान चालीसा का पाठ

मित्रों यदि आप दुनिया के सभी प्रकार के दुःखो का सामना कर कर के थक गए हो और कहीं से भी आपके मन को शांति नहीं मिल रही हो तो आप बालाजी महाराज की शरण में जाए. बालाजी महाराज को #संकट मोचन,दुःख भंजन, मगंल मूर्ति कहा जाता है . इनके दर्शन मात्र से मानसिक तनाव कोसो दूर चला जाता है . बजरंग बलि को # कलियुग का सिद्ध देवता भी कहा जाता है. हनुमान जी महाराज की कृपा दृष्टि से समस्त प्रकार के दुखो का नाश हो जाता है.

बालाजी महाराज की कृपा प्राप्त करने के लिए आप नित्य #हनुमान चालीसा का पाठ करें. हनुमान चालीसा के पाठ को आप नित्य 08 बार या उससे अधिक बार भी कर सकते है . यदि नित्य #हनुमान चालीसा का पाठ करना संभव न हो तो आप मंगलवार या शनिवार को भी #हनुमान चालीसा का पाठ कर सकते है .

रोजाना सुबह और संध्यावंदन के समय पवित्र भावना और शांतिपूर्वक हनुमान चालीसा पढ़ने से हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है और हर तरह की होनी-अनहोनी से बचाती  है। यदि संभव हो सके तो आप मंगलवार या शनिवार को भगवान श्री बालाजी महाराज के दर्शन के लिए भी जा सकते है.

#गोस्वामी तुलसीदास जी ने मानव मात्र की रक्षा के लिए ही यह हनुमान चालीसा रची थी. हनुमान चालीसा यदि आपको मौखिक याद नहीं है तो आप यहाँ से #हनुमान चालीसा का पाठ कर अपने दुखो को दूर कर मानसिक शांति प्राप्त कर सकते है.

दोहा :

श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।

बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। 

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।

बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।। 

चौपाई :

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।  जय कपीस तिहुं लोक उजागर।1

रामदूत अतुलित बल धामा।  अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।2

महाबीर विक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।3

कंचन बरन बिराज सुबेसा। कानन कुंडल कुंचित केसा।4

हाथ बज्र और ध्वजा बिराजै। कांधे मूंज जनेऊ साजै।5

संकर सुवन केसरीनंदन। तेज प्रताप महा जग वंदन।6

विद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर।7

 प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया।8

 सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। विकट रूप धरि लंक जरावा।9

भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचंद्रजी के काज संवारे।10

लाय संजीवन लखन जियाये। श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।11

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।12

 सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।13

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा।14

जम कुबेर दिगपाल जहां ते। कवी कोविद कहि सके कहां ते।15

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा।16

तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना। लंकेस्वर भए सब जग जाना।17

जुग सहस्र योजन पर भानू। लील्यो ताहि मधुर फल जानू।18

 प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।19

दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।20

राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे।21

सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रक्षक काहू को डरना।22

आपन तेज सम्हारो आपै। तीनों लोक हांक तें कांपै।23

भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महावीर जब नाम सुनावै।24

नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा।25

संकट तें हनुमान छुड़ावै। मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।26

सब पर राम तपस्वी राजा। तिन के काज सकल तुम साजा।27

और मनोरथ जो कोई लावै। सोइ अमित जीवन फल पावै।28

चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।29

साधु-संत के तुम रखवारे। असुर निकंदन राम दुलारे।30

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता।31

राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा।32

तुम्हरे भजन राम को पावै। जनम-जनम के दुख बिसरावै।33

अन्तकाल रघुबरपुर जाई। जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।34

और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेइ सर्व सुख करई।35

संकट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।36

जै जै जै हनुमान गोसाईं। कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।37

 जो शत बार पाठ करे कोई। छूटहि बंदि महा सुख होई।38

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा।39

तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।40 

दोहा :

 पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।

राम लखन सीता सहित, ह्रदय बसहु सुर भूप

जय सियाराम जय जय सियाराम, जय सियाराम हरे.

बोलो हरे राम हरे हरे, बोलो हरे राम हरे हरे

हनुमान चालीसा का पीडीएफ आप यहाँ से प्राप्त कर सकते है

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