माता लक्ष्मी

दीपावली पूजन मुहूर्त 2021

हिन्दू शास्त्रों के अनुसार प्रतिवर्ष दीपावली कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है. इस वर्ष दीपावली 04 नवम्बर 2021 गुरुवार को है. महालक्ष्मी देवी माता धन की देवी है सुख समृद्धि, धन धान्य के लिए आज के दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है.

दीपावली पर भगवान गणेश व माता लक्ष्मी पूजन को शुभ मुहूर्त में किया जाना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, शुभ मुहूर्त में किए गए पूजा-पाठ का फल गई गुना बढ़ जाता है। 

दीपावली के दिन महालक्ष्मी पूजन के लिए दिनांक 04.11.2021 को सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त भागीरथी ज्योतिषी केंद्र भेन्सोदामंडी जिला मंदसौर के पंडित श्री मृदुल कृष्ण द्विवेदी जी 950956477

प्रातः 06: 50 से 07:55 तक -शुभ

7:50 से 09: 50- तक – वृश्चिक *

10:55 से 02:50 तक – चर,लाभ,अमृत

11:50 से 12:30 तक – अभिजित *

01:50 से 03:10 तक – घट *

4:25 से 05:40 तक – शुभ

5:40 से 8:15 तक – प्रदोष वेला *

5:40 से 8:50 तक – अमृत/चर

06:35 से 08:20 तक – वृष *

12:19 से 01:45 तक – लाभ

12:59 से 03:00 तक – मृग *

विशेष :- जहाँ * का चिन्ह है वह समय शास्त्रों के अनुकूल है व् सर्वथा शुद्धतम समय है. अतः कोशिश करे की इसी समय में महालक्ष्मी पूजन करे . उपरोक्त मुहूर्त भवानीमंडी एवं आसपास के लिए उपयुक्त है.

शाम के 06 बजकर 09 मिनट से रात 08 बजकर 20 मिनट का मुहूर्त सबसे ऊत्तम माना गया है। यह मुहूर्त पुरे भारत में शुभ फलदायी है.

जानिए महालक्ष्मी पूजन की आसान विधि

पूजा शुरू करने से पहले अच्छी तरह से सफाई करें और सजाएं उसके बाद ईशान कोण या उत्तर दिशा में सफाई के बाद स्वास्तिक बनाएं। लकड़ी के पटिये पर लाल कपड़ा बिछाएं और चौकी सजाये चौकी पर चावल या गेंहू का ढेर लगाए और उस पर माता लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर रखें। माता लक्ष्मी की तस्वीर में गणेश जी की भी तस्वीर रहे,अगर कुबेर जी की तस्वीर या चित्र हो तो वो भी रखे.

सभी मूर्तियों या तस्वीरों को शुद्ध जल, पंचामृत, चंदन और गुलाब जल आदि से स्नान कराना चाहिए. उसके बाद आसन पर बैठकर माता लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर जी को वस्त्र (मौली या लच्छा), आभूषण, गंध, पुष्प, धूप, दीप, अक्षत और अंत में दक्षिणा चढ़ाएं। चूँकि गणेश जी को प्रथम देवता माना जाता है अतः पहले भगवन गणपति का पूजन करे. माता लक्ष्मी सहित सभी देवी-देवताओं के मस्तक पर हल्दी, रोली और चावल लगाये.

पूजा करने के बाद भोग या प्रसाद चढ़ाएं। प्रसाद में आमतौर पर लड्डू, सुपारी और मेवा, सूखे मेवे, नारियल, मिठाई, घर की रसोई में बने व्यंजन होते हैं. इसके अलावा कुछ सिक्के भी पूजा में रखें. खड़े होकर देवी-देवताओं की आरती उतारें। आरती करने के बाद उस पर जल फेर दें।
पूजा के बाद घर के आंगन आदि सभी मुख्य जगहों पर दीये जलाएं। घर में एक दीपक यम के नाम का भी जलाना चाहिए। पूजा और आरती के बाद ही किसी से मिलने जाएं।

पूजा के लिये आवश्यक सामग्री – लक्ष्मी माता,गणेश जी एवं कुबेर देवता के चित्र या तस्वीर , कुमकुम, चंदन, हल्दी, रोली, अक्षत, पान का पत्ता , साबुत नारियल, धुप बत्ती , दीपक के लिए घी, एक पीतल या मिट्टी का दीपक, रुई , पंचामृत, गंगाजल, पुष्प, फल, कलश, पानी, आम के पत्ते, कपूर, लच्छा , साबुत अनाज, दूर्वा घास, जनेऊ, धूप, एक लघु झाड़ू, दक्षिणा (मुद्रा नोट और सिक्का), एक धातु की घंटी, एक आरती थाली।

महालक्ष्मी मंत्र – ॐ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:।।

ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।

महालक्ष्मी वंदना – महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं,नमस्तुभ्यं सुरेश्वरि । हरि प्रिये नमस्तुभ्यं,नमस्तुभ्यं दयानिधे ॥

पद्मालये नमस्तुभ्यं,नमस्तुभ्यं च सर्वदे । सर्वभूत हितार्थाय,वसु सृष्टिं सदा कुरुं ॥

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